गेंहू की अधिक पैदावार हेतु इतनी मात्रा में डाले जिंक एवम् इस प्रकार करें जिंक की पूर्ति। जिंक की कमी के ये है लक्षण
इस समय उत्तर भारत में लगभग गेहूं की बुवाई का कार्य पूरा हो चुका है हालांकि कुछ क्षेत्रों में अभी भी गेहूं की लेट बुवाई हो रही है वही उत्पादन की बात करें तो देश भर में गेहूं की पैदावार ली जाती है परंतु किसान भाइयों को जिंक की मात्रा एवं किस समय डालें एवं उसकी आपूर्ति एवं जिनकी कमी के लक्षण क्या है इसके बारे में संपूर्ण जानकारी न होने की वजह से अनेक प्रकार के फायदाओं से वंचित होना पड़ता है तो साथियों आज हम इस आर्टिकल में संपूर्ण जानकारी आपके साथ सांझा करेंगे।
देशभर में गेहूं में अनेक प्रकार की खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है देश के अधिकतर हिस्सों में वैज्ञानिकों का मानना है कि भूमि में जिंक की मात्रा काफी कम है जिसके चलते उत्पादन पर काफी फर्क देखने को मिलता है एवं उत्पादन में कमी बनी रहती है किसान साथी इस और ध्यान नहीं देते क्योंकि गेहूं की फसल के लिए जिंक की मात्रा की आवश्यकता रहती है क्योंकि इससे अनेक प्रकार के रोग होने से फसल बच जाता है।
देश के किसान धान की फसल में जिंक का प्रयोग काफी मात्रा में करते हैं एवं इस समय धान की फसल लगभग कट चुकी है एवं इसके ऊपर इस समय किस साथियों ने गेहूं की बुवाई की हुई है यदि आपने धान की फसल में जिंक की उचित मात्रा का प्रयोग किया है तो उसे भूमि पर गेहूं में जिंक की मात्रा की आवश्यकता नहीं पड़ती अतः बिना जिंक के भी किसान साथी काम चला सकते हैं।
परंतु जिन किसानों के खेतों में धान की बुवाई नहीं की हुई या धान के खेत में जिंक का प्रयोग बहुत कम मात्रा में किया गया है तो उन किसानों के लिए जिंक की मात्रा एवं लक्षण एवं उसमें क्या-क्या फायदे हैं इसके बारे में विस्तृत नीचे जानकारी पुरी पढ़े ताकि अधिक पैदावार प्राप्त की जा सके एवं किसी भी प्रकार की बीमारी गेहूं में ना आए।
गेहूं की फसल में जिंक के प्रयोग के फायदे ।
बता दे कि वैसे तो सभी तत्वों की पौधों को उचित मात्रा में आवश्यकता होती है परंतु जिंक गेहूं में जरूर डालना चाहिए ताकि आपकी फसल में हरापन बना रहे और साथ ही कल्लो का विकास अच्छा हो , जिससे फुटाव ज्यादा होगा तो पैदावार भी अच्छी निकलेगी। एक साल में जिंक का प्रयोग आपको केवल एक बार करना पड़ेगा। दोबारा से डालने की आवश्यकता नहीं रहती और जिंक डालने के बाद पौधों को 5 से 10% ही ग्रहण करता है।
जिंक की कमी से गेहूं में ये लक्षण दिखाई देंगे।
दोस्तों बता दे कि जिंक की कमी गेहूं की फसल में होने पर पहचान करना थोड़ा सा मुश्किल काम जरूर है। लेकिन फिर भी जिंक की कमी को पहचानना अगर आप चाहते हैं तो गेहूं की पत्तियां के द्वारा किया जा सकता है कि जिंक की कमी है या नहीं। इसकी कमी गेहूं की फसल में होने पर गेहूं की पत्तियां समान रूप से पीली हो जाती है और नशे हरा रहती है। और जिन पौधों में जिंक की कमी होगी यह पौधे अन्य पौधों के मुकाबले में छोटे और बढ़वार कम होगी।
गेहूं की फसल में जिंक कितना डालना चाहिए।
जिंक का प्रयोग गेहूं की फसल में सबसे अच्छा रहता है। गेहूं की बुवाई करते समय ही डालें। जिससे पौधों को जिंक जितनी मात्रा में चाहिए उतना मिले। लेकिन बहुत से किसान भाई जिंक गेहूं की बुवाई के समय नहीं डाल पाते हैं। तो वह किसान गेहूं की पहली सिंचाई में भी उपयोग में ले सकते हैं उसके लिए किसानों को जिंक सल्फेट 21% 10 किलो इसके अलावा जिंक सल्फेट 33% 6 किलो मात्रा पहले पानी में यूरिया के साथ मिलकर डाला जा सकता है
इसके अलावा भी किसान जिंक का प्रयोग स्प्रे के द्वारा भी अपने फसल में दे सकते हैं उसके लिए आपको 33% जिंक 800 ग्राम 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ स्प्रे के द्वारा भी फसल को दिया जा सकता है या फिर चिल्टेड जिंक 150 ग्राम मात्रा में प्रति एकड़ के हिसाब से भी स्प्रे किया जा सकता है।
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